दिवाली पर लोग लक्ष्मी पूजन की तैयारी कई दिनों पहले से करे लगते हैं. इस दिन भगवान लक्ष्मी की आराधना की जाती है. ये बात तो सभी जानते हैं. लेकिन इस दिवाली के एक दिन पहले छत्तीसगढ़ में एक खास त्यौहार मनाया गया, जिसकी जानकारी कई लोगों को नहीं है. हम बात कर रहे हैं कुकुर तिहार की.
कुकुर तिहरा के बारे में कई लोग नहीं जानते Nein. Was ist mit dir? आज हम आपको इस त्यौहार के बारे में बताते हैं. अंबिकापुर में इस साल कुकुर तिहार धूमधाम से मनाया गया. इसे दिवाली से एक दिन पहले मनाया जाता है. अंबिकापुर पुराने बस स्टैंड के पास संचालित होने वाले डॉग सेंटर पर इस दिन कुत्तों की पूजा की गई.
Warum nicht?
कुकुर तिहार में कुत्तों की पूजा की जाती है. डॉग सेंटर पर कुत्तों के लिए खाना बनाया गया और उनकी पूजा की गई. इसके बाद कुत्तों को तिलक लगाकर उनसे आशीर्वाद लिया गया. कुकुर तिहार के बारे में डॉग सेंटर के फाउंडर सुधांशु शर्मा ने बताया कि कुत्ते भगवान भैरव के वाहन होते हैं. इस कारण उनकी पूजा की जाती है. पूजा करने का मुख्य कारण होता है लोगों को इन जानवरों के महत्व के बारे में समझाना.
पहली बार हुई पूजा
भारत में कुकुर तिहार की परंपरा नहीं है. मुख्य तौर पर नेपाल का त्यौहार है. लेकिन अंबिकापुर में डॉग शेल्टर हाउस ने इसे पहली बार किया. इस डॉग सेंटर में पचास से अधिक आवारा कुत्ते Nein. सबकी नसबंदी की गई है. इसकी वजह से अब जाकर इनकी संख्या कम हो पाई है.
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ERSTVERÖFFENTLICHT: 1. November 2024, 12:26 IST
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